महिलाओ का सम्मान भी देवी पूजन के समान - बुटोला
विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ दो दिवसीय अनसूया मेला।
संतानदायिनी शक्ति शिरोमणि माता अनसूया का दो दिवसीय मेला विधि विधान व पूजा-पाठ के साथ बुधवार को शुरू हो गया। जिला पंचायत अध्यक्ष दौलत सिंह बिष्ट व बदरीनाथ विधायक लखपत बुटोला ने पूजा अर्चना कर मेले का शुभारंभ किया। दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर क्षेत्र की सभी देवियों डोलियां भी सती मां अनसूया के दरबार पहुंची। मां अनसूया मंदिर में दत्तात्रेय जयंती पर सम्पूर्ण भारत से हर वर्ष निसंतान दंपत्ति और भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पहुंचते है। जिला प्रशासन ने मेले के दौरान पूरे पैदल मार्ग पर भी सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम किए है।
सती माता अनसूया मेले के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए बद्रीनाथ विधायक लखपत बुटोला ने कहा कि महिलाओं का सम्मान भी देवी पूजन के समान ही है महिलाओं का सम्मान व भेदभाव से उठ कर उन्हें समान अवसर देना चाहिए
वहीं विधायक बद्रीनाथ ने मेले में मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर शिरकत कर रहे उनके निजी सचिव दलबीर दानू से आग्रह किया कि जंगली जानवरों खास तौर पर भालू से निजात दिलाने के पुख्ता इंतजाम किये जाये उत्तराखंड का पहाडी क्षेत्र वैसे ही पलायन की मार क्षेल रहा है और भालू और जंगली जानवरों के आतंक ने यहां के लोगो के सामने और भी संकट पैदा कर दिया है
विदित हो कि पौराणिक काल से दत्तात्रेय जयंती पर हर वर्ष सती माता अनसूया में दो दिवसीय मेला आयोजित किया जाता हैं। मॉ अनुसूया मेले में निसंतान दंपत्ति और भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पहुंचते है। मान्यता है कि मां के दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। मां सबकी झोली भर्ती है। इसलिए निसंतान दंपत्ति पूरी रात जागकर मां की पूजा अर्चना कर करते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में जप और यज्ञ करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है। इसी मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर माता अनुसूया ने अपने तप के बल पर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और शंकर) को शिशु रूप में परिवर्तित कर पालने में खेलने पर मजबूर कर दिया था। बाद में काफी तपस्या के बाद त्रिदेवों को पुनः उनका रूप प्रदान किया और फिर यहीं तीन मुख वाले दत्तात्रेय का जन्म हुआ। इसी के बाद से यहां संतान की कामना को लेकर लोग आते हैं। यहां दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना भी की गई है। बताते है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मां अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेनी चाही थी, तब उन्होंने तीनों को शिशु बना दिया। यही त्रिरूप दत्तात्रेय भगवान बने। उनकी जयंती पर यहां मेला और पूजा अर्चना होती है।
इस मौके पर राज्य मंत्री हरक सिंह, जिला पंचायत सदस्य जय प्रकाश पंवार, बीकेटीसी उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, सती माता अनसूया मंदिर ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष भगत सिंह बिष्ट, पूर्व डीसीबी अध्यक्ष गजेन्द्र रावत, रविन्द्र बर्तवाल, उषा रावत, दलबीर दानू सहित सैकड़ों देवी भक्त मौजूद रहे।









