द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं।
शीतकालीन में गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में होगी द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर भगवान की पूजा।
पंच केदारों में द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं।
श्री मद्महेश्वर जी की चलविग्रह उत्सव डोली का देव निशानों के साथ 21 नवंबर को होगा ऊखीमठ आगमन।
द्वितीय केदार श्री मदमहेश्वर जी के कपाट आज मंगलवार प्रातः 8 बजे शीतकाल हेतु मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी स्वाति नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में बंद हो गये हैं। सोमवार से ही मंदिर को फूलों से सजाया गया था इस अवसर पर साढ़े तीन सौ से अधिक श्रद्धालु तथा बीकेटीसी अधिकारी कर्मचारीगण , वनविभाग एवं प्रशासन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अन्तर्गत ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर खुला व श्रद्धालुओं ने दर्शन किये। पूजा-अर्चना के बाद सात बजे से कपाट बंद ही प्रक्रिया शुरू हो गयी। इसके पश्चात पुजारी शिवलिंग ने बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी/ कार्यपालक मजिस्ट्रेट विजय प्रसाद थपलियाल, बीकेटीसी सदस्य प्रह्लाद पुष्पवाण एवं पंच गौंडारी हक-हकूकधारियों की उपस्थिति में श्री मद्महेश्वर जी के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप दिया। स्थानीय पुष्पों एवं राख से ढ़का इसके बाद प्रातः आठ बजे मंदिर के कपाट श्री मद्महेश्वर जी के जय घोष के साथ शीत काल हेतु बंद हो गये।
कपाट बंद होने के बाद श्री मदमहेश्वर जी की चल विग्रह डोली ने अपने भंडार का निरीक्षण तथा मंदिर की परिक्रमा पश्चात ढ़ोल- दमाऊं के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार हेतु प्रस्थान किया। 19 नवम्बर को भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी तथा 20 नवम्बर को गिरिया प्रवास करेगी तथा 21 नवम्बर को चल विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी। बताया कि श्री मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली के स्वागत हेतु श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में तैयारियां शुरू हो गयी हैं।




