उत्तराखंड मे स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे आठ माह की गर्भवती को रेफर रेफर में गई जान लगातार 3 महीने में तीसरी मौत

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उत्तराखंड मे स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे आठ माह की गर्भवती को रेफर रेफर में गई जान लगातार 3 महीने में तीसरी मौत

उत्तराखंड में लचर स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था  के कारण एक और गर्भवती की मौत हो गई है. जिससे भिलंगना ब्लॉक में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ गई है. जहां गर्भवती को सीएचसी बेलेश्वर के डाक्टरों द्वारा महिला को  हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया परिजन महिला को हायर सेंटर के लिए अपने निजी वाहन से ढाई घंटे की यात्रा के दौरान फकोट के पास नीतू की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि उचित और समय पर उपचार न मिलने के कारण नीतू की जान गई है. उनका कहना  है कि स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होती तो उसकी जान बच सकती थी.


 भिलंगना ब्लॉक के चमियाला के श्रीकोट गांव निवासी नीतू पंवार पत्नी दीपक पंवार (उम्र 24 वर्ष) 8 माह की गर्भवती थी. अचानक उसकी तबीयत खराब हो के कारण परिजन सुबह करीब 9 बजे  नीतू को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलेश्वर ले गए.जहां डॉक्टरों ने उसकी जांच कर बताया   नीतू की नियमित जांच न होने के कारण शरीर में गंभीर सूजन (एडिमा) और ब्लड प्रेशर में वृद्धि थी. इन्हीं लक्षणों के कारण इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया गया.

परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएचसी में दिए गए इंजेक्शन के बाद  उन्हें कहा गया था कि रास्ते में किसी भी अस्पताल पर दिखाएं. परिजनों  खुद के वाहन से नीतू को ले जा ही रहे थे कि रास्ते में फकोट के बाद उसने दम तोड़ दिया.

परिजन और ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में इसी क्षेत्र से रेफर के बाद हायर सेंटर ले जाते हुए  रास्ते में तीन प्रसूताओं की मौत के मामले सामने आ चुके हैं. इन घटनाओं ने स्थानीय लोगों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति गहरी नाराजगी और डर पैदा कर दिया है.

 वही डॉ. शिव प्रसाद भट्ट, चिकित्सा प्रभारी, सीएचसी बेलेश्वर का कहना है कि नीतू की जांच नियमित रूप से नहीं हुई थी, जिसके कारण शरीर में सूजन और बीपी वृद्धि थी. इन्हीं कारणों से सुरक्षा को देखते हुए हायर सेंटर भेजा गया."- 

वहीं, गर्भवती की मौत के बाद सीएमओ डॉ. श्याम विजय ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है. एसीएमओ डॉ. जितेंद्र भंडारी, जिला अस्पताल बौराड़ी के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. एस मोहन सती और गायनोलॉजिस्ट डॉ. पूर्वी भट्ट को एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं.


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